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Wednesday, 30 December 2020

अब्राहम लिंकन presidient of america



 अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 ई. को अमेरिका के केंचुकी नामक स्थान में एक गरीब किसान के घर हुआ था | उनके पिता का नाम टामस लिंकन एंव माता का नाम नैन्सी लिंकन था | उनका पूरा नाम अब्राहम थॉमस लिंकन था उनके पिता एक किसान थे। उनके माता-पिता अधिक शिक्षित नहीं थे इसलिए अब्राहम लिंकन की प्रारंभिक शिक्षा ठीक से नहीं हो सकी | किन्तु, सभी कठिनाइयों पर विजय हासिल करते हुए उन्होंने अच्छी शिक्षा अर्जित की, और वकालत की डिग्री पाने में भी कामयाब रहे। वकील बनने से पहले उन्होंने अनेकों प्रकार की नौकरियां भी की और धीरे – धीरे राजनीति की ओर मुड़ते चले गए। 


 


बात उस समय की है जब देश में गुलामी की प्रथा की समस्याओं चल रही थी। अंग्रेज लोग दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के मालिक थे, और वह अफ्रीका से आए काले लोगो को अपने खेत में जबर्जस्ती काम करते थे और उन्हें दास के रूप में रखा जाता था। अब्राहम लिंकन 1860 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे उस समय उत्तरी राज्यों के लोग गुलामी की इस प्रथा के खिलाफ थे और इसे समाप्त करना चाहते हैं अमेरिका का संविधान आदमी की समानता पर आधारित है।


 


6 नवम्बर 1860 को अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद अब्राहम लिंकन ने ऐसे महत्त्वपूर्ण कार्य किए जिनका राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व भी था | अब्राहम लिंकन अमेरिका ग्रह-युद्ध सुधारने हेतु 1865 ई. में अमेरिका के संविधान में 13वें संशोधन द्वारा दास-प्रथा के अन्तकरने का श्रेय भी अब्राहम लिंकन को ही जाता है | अब्राहम लिंकन एक अच्छे राजनेता और एक प्रखर वक्ता भी थे | प्रजातंत्र की परिभाषा देते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रजातंत्र जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन है |’राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी वो हमेशा विनम्र रहे, बल्कि हर संभव गरीबों की भलाई के लिए भी प्रयत्न करते रहे | दास-प्रथा के उन्मूलन के दौरान अत्यधिक विरोध का सामना करना पड़ा, किन्तु अपने कार्य को समझते हुए वे अंततः इस कार्य को अंजाम देने में सफल रहें | अमेरिका में दास-प्रथा के अंत का अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व इसलिए भी है कि इसके बाद ही विश्व में दास-प्रथा के उन्मूलन का मार्ग प्रशस्त हुआ |


 


4 मार्च 1865 को अब्राहम लिंकन का दुसरी बार शपथ समारोह हुआ। शपथ समारोह होने के बाद लिंकन द्वारा दिया हुआ भाषण बहुत ही मशहूर हुआ। उस भाषण से बहुत लोगो के आँखों मे आसु आ गये। वह किसी के भी खिलाफ नहीं थे और चाहते थे की सब लोग शांति से जीवन व्यतीत करे । लिंकन कभी भी धर्म के बारे में चर्चा नहीं करते थे और न ही किसी चर्चा से संबंध थे। एक बार उनके किसी मित्र ने उनसे उनके धार्मिक विचार के बारे में पूछा। लिंकन ने कहा – “बहुत पहले मैं इंडिया में एक बूढ़े आदमी से मिला जो यह कहता था ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूँ तो अच्छा अनुभव करता हूँ और जब बुरा करता हूँ तो बुरा अनुभव करता हूँ’। यही मेरा धर्म है”।


 


मृत्यु –

वॉशिंग्टन के फोर्ड थियेटर में ‘अवर अमेरिकन कजिन’नामक नाटक देखते समय 14 अप्रैल 1865 को ज़ॉन विल्किज बुथ नाम के युवक ने उनको गोली मार दी |15 अप्रैल के सुबह अब्राहम लिंकन की मौत हो गई | उनकी हत्या के बाद अमेरिका में विद्वानों की एक सभा में कहा गया, ‘अब्राहम लिंकन की भले ही हत्या कर दी गई हो, किन्तु मानवता की भलाई के लिए दास-प्रथा उन्मूलन का जो महत्वपूर्ण कार्य किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता | अब्राहम लिंकन अपने विचारों एवं कर्मों के साथ हमारे साथ हमेशा रहेंगे |

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