अमरीकी आविष्कारक एवं व्यवसायी थॉमस अल्वा एडिसन एक महान व्यक्ति थे | उनके नाम पर 1093 आविष्कारो के पेटेंट दर्ज हैं जो संपूर्ण विश्व मे अपनी महानतम उपलब्धियो के लिए जाने वाले महान वैज्ञानिक हैं | ये वही व्यक्ति है जिन्होंने दुनिया को अंधेरे से मुक्त किया था मेरा मतलब इन्होंने ही विद्युत-बल्ब का अविष्कार किया था |11 फरवरी 1847 में अमेरिका के ओहियो शहर के मिलान गाँव में थॉमस अल्वा एडिसन का जन्म हुआ था | पिता का नाम सेमुएल एडिसन और माँ का नाम नैन्सी एलियट था। वे अपने सातों भी बहनों मे सबसे छोटे थे | सात साल के उम्र मे उनका पूरा परिवार पोर्ट ह्यूरोंन, मिशिगेज चला गया, जहा पर उनके पिता एक बढाई के रूप में फोर्ट ग्रेरियेट में काम करने लगे |
थॉमस एडिसन भी सभी बच्चो की तरह पढने के लिए स्कूल गये थे, लेकिन वहां से टीचर ने एडिसन को मंदबुद्धि कह कर स्कूल से बहारबाहर निकाल दिया था। जिसकी की वजह से मात्र 3 महीने के बाद ही स्कूल वालो ने एडिसन को स्कूल से निकाल दिया। जिससे थॉमस एडिसन की पढाई उनके घर उनके माता जी द्वारा दी गई जो खुद एक अध्यापिका थी। आर.जी. पार्कर स्कूल से और दी कूपर यूनियन स्कूल ऑफ़ साइंस एंड आर्ट से थी। एडिसन ने अपनी ज्यादातर शिक्षा प्राप्त की | बचपन में उन्हें एक स्काटलेट ज्वर आया था और उस से उबरते समय उनके दाहिने कान में चोट आ गयी थी। तभी से उन्हें सुनने में थोड़ी-बहुत परेशानी होती थी।
जैसे जैसे एडिसन बड़े हुए उनके सुनने की क्षमता कम होती गई और एक समय ऐसा आया की इनके बाएँ कान की सुनने की क्षमता बिलकुल से ख़त्म हो गई लेकिन वो दाये से सुन सकते थे। उन्होंने एक बार खुद ही कहा था की मैंने 12 साल की उम्र के बाद पंछियों का गाना फिर कभी नही सुना। अपनी माँ से पढाई के कारण एडिसन बचपन से ही जिज्ञासु हो गए थेगया था जिससे वो हमेशा कुछ न कुछ किया करते थे। एक बार एडिसन ने किसी से पूछा चिड़ियाँ कैसे उड़ लेती है। तो उसको किसी ने बताया कि वो कीड़े खाती है इसलिए उड़ लेती है। एस बात को सिद्ध करने के लिए इन्होने अपने बगीचे से कुछ कीड़ो को पकड़ा और उसको पीस कर अपने दोस्तों को पिला दिया की शायद वो पंचीपंछी की तरह उड़ने लगे, लेकिन हुआ क्या वो लोग बीमार हो गए। उनके ऐसी सोच को देख कर लोग उनको पागल कहते थे।
1862 मे जब इन्होने अपनी जान पर खेलकर स्टेशन मास्टर के बच्चे को एक रेल दुर्घटना मे मरने से बचाया तब इस कारनामे से स्टेशन मास्टर बहुत खुस हुआ और उन्हे इनाम के रूप मे टेलिग्राफ सिखाने का वचन दिया। सन 1868 मे उन्होने अपना टेलिग्राफ पर पहला पेटेंट कराया और उसी वर्ष उन्होने वोट रेकॉर्ड करने की मशीन का अविष्कार भी किया।
कुछ समय बाद वो न्यूयॉर्क चले गए काम न मिलने पर वह भी उन्हे कुछ समय ग़रीबी मे गुज़रा, लेकिन कुछ दिन बाद उन्हे स्टॉक एक्सचेंज के टेलिग्राफ ऑफीस मे नौकरी मिल गयी। उन्होंने अपना टेलिग्राफ उपकरण एक्सचेंज 2000 डॉलर मिलने की आस मे प्रेसीडेंट को भेट किया मगर इस टेलिग्राफ उपकरण से इतना प्रभावित हुआ की उसने एडीसन को इसके 40 हज़ार डॉलर दिए यही वो समय था जब उनका समय बदला इन्होने अपनी प्रयोगशाला न्यूजर्सी के मैनलो पार्क मे सन 1876 मे किया |उनके अनेकों अनुसंधान से उन्हे मैनलो पार्क का जादूगर कहा जाने लगा। ग्रामोफ़ोन का अविष्कार उन्होंने सन् 1877 मे किया | सन् 1879 मे एडीसन ने विद्युत बल्ब का अविष्कार भी इसी प्रयोगशाला मे किया | इन्होने तापायनिक उत्सर्जन (Thermionic Emission) के सिद्धांत का अविष्कार किया और बाद मे इसी सिद्धांत पर एलेक्ट्रॉनिक बल्ब बनाए गए।
सिनेमा, टेलीफोन, रिकॉर्ड और सीडी का सृजन इन सभी चीजों का योगदान एडिसन को जाता है | यही नहीं एडीसन के शोधो के आधार पर ही बाद मे रेमिँगटन टाइप रायटर विकसित किया गया। विद्युत से चलने वाला पेन भी खोजा, जो बाद मे मिमोग्रफ के रूप मे विकसित हुआ। सन् 1889 मे उन्होने चलचित्र कैमरा भी विकसित किया।
उन्होंने पुरे US,यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और जर्मनी के 1093 पेटेंट्स अपने कब्जे में कर रखे थे, उनके इन सभी पेटेंट्स का उनके आविष्कारों पर बहुत ही बड़ा प्रभाव पड़ा। वे एक वैज्ञानिक के साथ साथ एक सफल उद्यमी भी थे। वो हर दिन अपने काम करने के बाद बचे समय को प्रयोग और परिक्षण में लगते थे। जिन्हे बचपन मे स्कूल से निकाल दिया गया था कम दिमाग होने की वजह से आज उसी कल्पना शक्ति और स्मरण शक्ति का उपयोग अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में लगाया। जनरल इलेक्ट्रिक जो आज भी दुनिया की सबसे बड़ी व्यापर करने वाली कंपनी के नाम से जानी जाती है ये वही 14 कंपनियों मे से एक है जिन्हे महान अविष्कारक एडिसन ने स्थापना की थी | 40 युद्धोपयोगी आविष्कार उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में जलसेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर किया |
21 अक्टूबर 1915 को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने संमानित किया। नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य के रूप मे 1927 ई मे निर्वाचित हुए। सन् 1912 मे इन्हे अपने पुराने सहयोगी टेल्सा के साथ नोबेल पुरूस्कार मिलने को था लेकिन टेल्सा एडीसन के साथ नोबेल पुरूस्कार लेने से इनकार कर दिए, इस कारण दोनो ही वैज्ञानिक नोबेल पुरूस्कार से वंचित रह गए।
एक दिन फुर्सत के क्षणों में वह अपने पुरानी यादगार वस्तुओं को देख रहे थे। तभी उन्होंने आलमारी के एक कोने में एक पुराना खत देखा और उत्सुकतावश उसे खोलकर देखा और पढा। यह वही खत था जो बचपन में एडिसन के शिक्षक (teacher) ने उन्हें दिया था। उसमें लिखा था आपका बच्चा mentally weak (बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर) है उसे अब school ना भेजें। Edison कई घंटों तक रोते रहे और फिर अपनी diary में लिखा – “एक महान मां ने बौद्धिक तौर पर काफी कमजोर बच्चे को सदी का महान वैज्ञानिक बना दिया.
अंत समय मे उन्होंने कहा ”मैंने अपना जीवनकार्य पूर्ण किया। अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ”, थॉमस एडिसन का निधन 18 अक्टूबर 1931 हो गया| और वो हमे छोर कर चले गए|
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