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Thursday, 31 December 2020

सचिन तेंदुलकर

 


सचिन तेंदुलकर

24 अप्रैल 1973 को राजापुर के मराठी ब्राह्मण परिवार में दादर, मुंबई के निर्मल नर्सिंग होम में सचिन तेंदुलकर का जन्म हुआ। सचिन तेंदुलकर के पिता का नाम रमेश तेंदुलकर था जो की महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध उपन्यासकार थे और उनकी माँ रजनी एक बीमा एजेंट थीं। सचिन के पिता ने सचिन देव बर्मन के नाम पर उनका नाम सचिन रखा था, जोकि उनके पसंदीदा संगीत निर्देशक थे। सचिन अपने 4 भाई व बहन में सबसे छोटे हैं, उनके बड़े भाई नितिन और उसके बाद उनकी बहन सविता हैं। 1995 में सचिन तेंदुलकर का विवाह अंजलि तेंदुलकर से 1995 में हुआ। सचिन के दो बच्चे हैं – अर्जुन और सारा।


 


सचिन ने अपने बचपन के कुछ साल बांदा ईस्ट के साहित्य सहवास सहकारी आवास सोसायटी में व्यतीत किए। सचिन वर्तमान की तुलना में अपने बचपन में बिल्कुल विपरीत थे, क्योंकि उन्हे स्कूल में लड़ाई करना या स्कूल में पहली बार आने वाले बच्चों का धमकाना पसंद था।


 


अपनी किशोरावस्था में सचिन जॉन मैकनेरो, जो अमेरिका के प्रमुख टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं, के बहुत बड़े प्रशंसक थे।सचिन के शरारती स्वभाव को बड़ी मुश्किल से छुड़ाया और उन्हें वर्ष 1984 में क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी दिखाने पर जोर दिया। उन्होंने सचिन की रमाकांत आचरेकर से भेंट करवाई, जो अपने समय के सबसे प्रसिद्ध क्लब क्रिकेटर के साथ-साथ एक बेहतरीन कोच भी थे। रमाकांत आचरेकर दादर के शिवा पार्क में क्रिकेट का अभ्यास करवाते थे।


 


आचरेकर ने सचिन की प्रतिभा को देखा, जो उन्हें काफी पसंद आयी, उसके बाद उन्होंने सचिन से शारदाश्रम विद्यामंदिर (इंग्लिस) माध्यमिक स्कूल को छोड़कर, अपने स्कूल में प्रवेश लेने के लिए कहा, जो दादर में ही स्थित था। यह स्कूल स्थानीय क्रिकेट मंडली में शीर्ष पर था और उस समय, यहाँ से कई प्रसिद्ध क्रिकेटर उभरकर सामने आए थे। इससे पहले, सचिन ने बांद्रा ईस्ट के भारतीय एजुकेशन सोसाइटी के न्यू इंग्लिश स्कूल में अध्ययन किया था। एम०आर०एफ० पेस फाउंडेशन में सचिन ने गेंदबाजी के अभ्यास की पूरी कोशिश की मगर वहाँ के कोच श्री डेनिस लिली ने उन्हें पूर्ण रूप से अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देने को कहा। 


अपने कोच के साथ जब सचीन क्रिकेट का अभ्यास किया करते थे तो उनके कोच स्टंप पर एक रूपये का सिक्का रखते थे और कहते थे की जो गेंदबाज सचिन को हराएगा ये सिक्का उसका और यदि नहीं हरा पाया या फिर सचिन ज्यादा देर तक मैच में टिका रहेगा तो ये सिक्का सचिन का। एक इंटरव्यू मे सचिन ने बताया की उन्होंने करीब 13 सिक्के जीते और जो की उनके सभी रुपयों में ज्यादा महत्व रखते हैं। 


 


सन् 1988 में स्कूल के एक हौरिस शील्ड मैच के दौरान साथी बल्लेबाज विनोद काम्बली के साथ सचिन ने ऐतिहासिक 664 रनों की अविजित साझेदारी की| इस धमाकेदार जोड़ी के अद्वितीय प्रदर्शन के कारण एक गेंदबाज तो रोने ही लगा और सचिन के विरोधी टीम ने तो मैच को आगे खेलने से ही मना कर दिया। इस मैच में 320 रन और प्रतियोगिता में हजार से भी ज्यादा रन बनाये| इससी बलेबाजी और जुनून सेकह कर उन्हे 15 साल की उम्र में उन्हे मुंबई टीम में शामिल कर लिया गया।


 


सचिन ने सन 1990 में इंग्लैंड दौरे में अपने टेस्ट क्रिकेट का पहला शतक लगाया जिसमे उन्होंने नाबाद 119 रन बनाये और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मुकाबलों में भी सचिन का प्रदर्शन यही रहा और उन्होंने कई टेस्ट शतक भी जड़े। सचिन ने 1992-93 में अपना पहला घरेलु टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेला जो उनका टेस्ट कैरियर का 22वा टेस्ट मैच था। सचिन की प्रतिभा और क्रिकेट तकनीक को देखते हुए सभी ने उन्हें डॉन ब्रेडमैन की उपाधि दी गई जिसे बाद में डॉन ब्रेडमैन ने भी खुद इस बात को स्वीकार किया।


 


सचिन के कोच अचरेकर सचिन को सुबह स्कूल जाने से पहले व शाम को स्कूल से आने के बाद क्रिकेट की ट्रेनिंग दिया करते थे| सचिन बहुत मेहनती थे, वे लगातार प्रैक्टिस किया करते थे, जब वे थक जाया करते थे, तब कोच स्टंप में 1 रुपय का कॉइन रख दिया करते थे, जिससे सचिन आगे खेलते रहे| सचिन खेलते रहते थे और पैसे जोड़ा करते थे| 1988 में सचिन ने स्टेट लेवल के मैच में मुंबई की तरफ से खेलकर अपने करियर की पहली सेंचुरी मारी थी| पहले ही मैच के बाद उनका चयन नेशनल टीम के लिए हो गया था और 11 महीनों बाद सचिन ने पहली बार इंटरनेशनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला, जो उस समय की सबसे दमदार टीम मानी जाती थी|


 


इसी सीरीज में सचिन ने पहली बार वन डे मैच खेला| 1990 में सचिन ने इंग्लैंड के हिलाफ़ पहला टेस्ट सीरीज खेली, जिसमें उन्होंने 119 रनों की पारी खेली और दुसरे नंबर के सबसे छोटे प्लेयर बन गए जिन्होंने सेंचुरी मारी| 1996 के वर्ल्ड कप के समय सचिन को टीम का कप्तान बना दिया गया| 1998 में सचिन ने कप्तानी छोड़ दी, व 1999 में उन्हें फिर कप्तान बना दिया गया| कप्तानी के दौरान सचिन ने 25 में से सिर्फ 4 टेस्ट मैच जीते थे, जिसके बाद से सचिन ने कभी भी कप्तानी ना करने का फैसला कर लिया| 


 


आज सचिन 100 टैस्ट मैच खेलने वाला विश्व का 17वां खिलाड़ी बन चुका है। सचिन ने 1989 में पाकिस्तान के विरुद्ध प्रथम अन्तरराष्ट्रीय मैच खेला था। तब सचिन केवल 16 वर्ष का था और प्रथम पारी में वह बहुत ही नर्वस व घबराया हुआ था। सचिन को तब यूं महसूस हुआ था कि शायद वह जिन्दगी में आगे अन्तरराष्ट्रीय मैच और नहीं खेल सकेगा।


 


अकरम और वकार की तेज गेंदों के सामने वह केवल 15 रन ही बना सका था। लेकिन दूसरे टेस्ट में जब उसे खेलने का मौका मिला तब उसने 59 रन बना लिए और उसके भीतर आत्मविश्वास जाग उठा। सचिन देखने में सीधा-सादा इंसान है। वह अति प्रसिद्ध हो जाने पर भी नम्र स्वभाव का है। वह अपने अच्छे व्यवहार का श्रेय अपने पिता को देता है। उसका कहना है- ”मैं जो कुछ भी हूं अपने पिता के कारण हूँ। उन्होंने मुझ में सादगी और ईमानदारी के गुण भर दिए हैं। वह मराठी साहित्य के शिक्षक थे और हमेशा समझाते थे कि जिन्दगी को बहुत गम्भीरता से जीना चाहिए। जब उन्हें अहसास हुआ कि शिक्षा नहीं, क्रिकेट मेरे जीवन का हिस्सा बनने वाली है, उन्होंने उस बात का बुरा नहीं माना। उन्होंने मुझसे कहा कि ईमानदारी से खेलो और अपना स्तर अच्छे से अच्छा बनाए रखो। मेहनत से कभी मत घबराओ।” सचिन को भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बनाया गया था, परन्तु 2000 में उन्होंने मोहम्मद अजहरूद्‌दीन के आने के बाद वह पद छोड़ दिया।


 


सचिन, जिसे सुपर स्टार कहा जाता है, जीनियस कहा जाता है, जिसका एह-एक स्ट्रोक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, अपने पुराने मित्रों को आज भी नहीं भूला है चाहे वह विनोद काम्बली हो या संजय मांजरेकर। जब मुम्बई की टीम में सचिन ने खेलना आरम्भ किया था तो संजय ने राष्ट्रीय टीम की ओर से खेला था। ये दोनों पुराने मित्र हैं। क्रिकेट के अतिरिक्त सचिन को संगीत सुनना और फिल्में देखना पसन्द है। सचिन क्रिकेट को अपनी जिन्दगी और अपना खून मानते हैं। क्रिकेट के कारण प्रसिद्धि पा जाने पर वह किस चीज का आनन्द नहीं ले पाते-यह पूछने पर वह कहते हैं कि दोस्तों के साथ टेनिस की गेंद से क्रिकेट खेलना याद आता है। 29 वर्ष और 134 दिन की उम्र में सचिन ने अपना 100वां टैस्ट इंग्लैण्ड के खिलाफ खेला। 5 सितम्बर, 2002 को ओवल में खेले गए इस मैच से सचिन 100वां टैस्ट खेलने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी बन गया।


 


सचिन के क्रिकेट खेल की औपचारिक शुरुआत तभी हो गई जब 12 वर्ष की उम्र में क्लब क्रिकेट (कांगा लीग) के लिए उसने खेला। सचिन बड़ी-बड़ी कम्पनियों का ब्रांड एम्बेसडर बना है। एम. आर. एफ. टायर, पेप्सी, एडिडास, वीजा मास्टर कार्ड, फिएट पैलियो जैसी नामी कम्पनियों ने उसे अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया। बड़ी कम्पनियों में विज्ञापन के लिए उसकी सबसे ज्यादा मांग है। 1995 में सचिन ने 70 लाख पचास हजार (7.5 मिलियन) डालर का वर्ल्ड टेल कम्पनी के साथ 5 वर्षीय अनुबंध किया। इससे सचिन विश्व का सबसे धनी क्रिकेट खिलाड़ी बन गया। इसके पूर्व ब्रायनलारा ने ब्रिटेन की कम्पनी के साथ सर्वाधिक 10 लाख 20 हजार डॉलर का अनुबंध किया था। सचिन ने 2002 में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया।


 


अन्तरराष्ट्रीय मैचों में 20000 रन बनाने वाला वह एकमात्र खिलाड़ी बन गया है। उसने 102 टेस्ट मैचों में खेली गई 162 पारी में 8461 रन बनाने के अतिरिक्त 300 एक दिवसीय मैचों में 11544 रन बनाने का रिकार्ड स्थापित किया है। उसके बारे में कहा जाता है वह विवियन रिचर्ड, मार्क वा, ब्रायन लारा सब को मिलाकर एक है। तेंदुलकर मानो एक आदमी की सेना है। वह शतक बनाता है, उसे गेंद दे दो, वह विकेट ले लेता है, वह टीम के अच्छे फील्डरों में से एक है। हम भाग्यशाली हैं कि वह भारतीय हैं। 25 मई, 1995 को सचिन ने डाक्टर अंजलि मेहता से विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे हैं। बड़ी बच्ची का नाम ‘सराह’ है जिसका अर्थ है कीमती। छोटा बच्चा बेटा है। सचिन की अंजलि से 1990 में मुलाकात हुई। सचिन ने एक बार इंटरव्यू में कहा था- ”मुझे उससे प्यार इसलिए हो गया क्योंकि उसके गाल गुलाबी हो उठते हैं।” सचिन का पूरा नाम सचिन रमेश तेंदुलकर है।


 


उसका नाम उसके माता-पिता ने अपने पंसदीदा संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा। सचिन ने अपना पहला साक्षात्कार दादर के एक ईरानी रेस्टोरेंट में अपने बड़े भाई से दिलवाया था क्योंकि तब उसमें अधिक आत्मविश्वास नहीं था। सचिन को बचपन में क्रिकेट से कोई विशेष लगाव न था। क्रिकेट में शामिल होने पर वह तेज गेंदबाज बनना चाहता था, इसलिए डेनिस लिली से प्रशिक्षण के लिए एम. आर. एफ. पेस एकेडमी में गया। तब उसे बताया गया कि उसे बल्लेबाजी पर ध्यान लगाना चाहिए। सचिन को अपनी मां के हाथ का भोजन बहुत पसन्द है विशेषकर सी-फूड। इस कारण उसके आने पर वह विशेष रूप से मछली मंगवाती है।

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